ओड़िशा आज दो महत्वपूर्ण मोर्चों पर सक्रिय दिखाई दे रहा है — शासन-सुधार और आपदा-प्रबंधन। राज्य में भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियों ने अपनी सख्ती बढ़ाते हुए पिछले 16 महीनों में 303 अधिकारियों और कर्मचारियों को कथित अवैध संपत्ति मामलों में गिरफ्तार किया है। विजिलेंस विभाग के अनुसार, इनसे जुड़ी कुल बेनामी संपत्तियों का मूल्य ₹212 करोड़ से अधिक आँका गया है। यह आँकड़ा इस बात का संकेत है कि राज्य प्रशासन अब सिस्टम-क्लीन-अप की दिशा में निर्णायक रूप से आगे बढ़ रहा है। इस व्यापक कार्रवाई से न केवल सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता बढ़ाने का संदेश गया है, बल्कि आम जनता के बीच जवाबदेही की उम्मीद भी सशक्त हुई है।
दूसरी ओर, बंगाल की खाड़ी में उठ रहे चक्रवात “मोंथा” के प्रभाव को लेकर राज्य सरकार ने समय रहते सतर्कता बढ़ा दी है। गंजाम, गजपति, पुरी, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर जिलों में 128 राहत-टीमें, आपदा प्रबंधन बल और अग्निशमन इकाइयाँ पहले से तैनात कर दी गई हैं। सरकार ने निम्न-भूमि क्षेत्रों से लोगों के स्थानांतरण का अभियान शुरू किया है और तटीय इलाकों में बिजली एवं संचार व्यवस्थाओं को सुरक्षित बनाए रखने के लिए अस्थायी नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं।
इन दोनों घटनाओं को साथ देखा जाए तो स्पष्ट है कि ओड़िशा अब केवल प्रतिक्रिया-प्रधान राज्य नहीं रह गया, बल्कि एक पूर्व-तैयार, सक्रिय प्रशासनिक मॉडल की दिशा में बढ़ रहा है — जहाँ शासन में ईमानदारी और आपदा-प्रबंधन में दक्षता, दोनों को समान प्राथमिकता दी जा रही है।





